Table of Contents
आपस की बात
‘‘पार्टी आप’’ ‘‘पार्टी आप’’
डाल माल प्रवचन सुनाये
गाल बजाये तोंद फुलाये
बुद्धि के ठेकेदार
ढंग कुढंगी बेढब संगी
चोली दामन का साथ।
जेपी लोहिया की कब्र उखाड़
टेम्प्रेचर का लेकर नाप
क्रान्ति होगी मोमबत्ती छाप
घालमेल और मेल मिलाप
सुविधाओं का करती जाप
पार्टी आप! पार्टी आप!!
आदमी छोटा, आदमी छोटा
खड़ा साथ में इसके मोटा
दाढ़ी, झोंटा, सोंटा।
बोलो कितना दोगे दान?
बनवा दूँगा आदमी आम।
पहनो टोपी झूमो गोपी
सेट हो गयी रोटी-बोटी।
रामनारायण भाई
मुजफ्फरपुर, बिहार
बिगुल में लेखों में तथ्यों पर ध्यान दें
प्रिय मज़दूर बिगुल के साथी, दिसम्बर 2013 का अंक प्राप्त हुआ। मैं आपसे अपील करता हूँ कि मज़दूर बिगुल में लेख छापने से पहले उस पर निगाह डाल लिया कीजिये। संजय श्रीवास्तव का जो लेख 16 नम्बर पेज पर छपा है उसका शीर्षक है ‘‘विकास’’ की चमक के पीछे की काली सच्चाई, देश में प्रतिदिन भूख और कुपोषण से मर जाते हैं 3000 बच्चे। मज़दूर बिगुल की पुस्तिका बोलते आँकड़े चीखती सच्चाइयाँ में पेज नम्बर 5 में लिखा है कि प्रतिदिन लगभग 9 हज़ार बच्चे भूख और कुपोषणजनित बीमारियों से मरते हैं।
विशाल, लुधियाना
(प्रिय साथी विशाल, बिगुल पुस्तिका में दिया गया प्रतिदिन लगभग 9 हज़ार बच्चों की मौत का आँकड़ा सही है। दिसम्बर 2013 अंक के लेख में प्रतिदिन भूख और कुपोषण से 3000 बच्चों की मौत का आँकड़ा वह है जिसे पहली बार ख़ुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया था। वरना तो सरकार इससे इन्कार ही करती रही है। इस बात का ज़िक्र लेख में नहीं होने से भ्रम हुआ। इस चूक की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। – सम्पादक)
सही ढंग से लड़ने की समझ बनाता है बिगुल
मज़दूर बिगुल पढ़ना मुझे अच्छा लगता है क्योंकि मज़दूर बिगुल से हमें बहुत कुछ सीखने-समझने को मिलता है जैसे देश की आर्थिक-राजनीतिक मसलों के बारे में सही निचोड़ मिलता है।
मज़दूर आन्दोलनों की प्राप्तियों-अप्राप्तियों, कमियों-कमज़ोरियों के बारे में सही जानकारी मिलती है।
दुनिया भर का जो मज़दूर वर्ग का इतिहास है उसकी रोशनी से आज भारत के मज़दूर वर्ग को रास्ता दिखाता है। दुनिया भर में पूँजीवाद-साम्राज्यवाद की जो मार मज़दूर वर्ग पर पड़ रही है उसका निचोड़ और मज़दूर वर्ग को आगे का रास्ता दिखाता है। मज़दूर वर्ग को किन-किन माँगों पर उन्हें संगठित किया जाये इसकी मज़दूर बिगुल पढ़ने वालों की समझ बनती है।
विशाल, लुधियाना
मज़दूर बिगुल, जनवरी-फरवरी 2014
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन