बिजली कनेक्शन की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए ग्रेटर नोएडा में आयोजित की गयी स्थानीय जनता की महापंचायत
कुलेसरा, सुत्याना और लखनावली की तेरह कॉलोनियों के लोग हो रहे हैं एकजुट
रूपेश
बीते आठ सितम्बर को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में बिजली कनेक्शन की समस्या को लेकर एक महापंचायत का आयोजन किया गया। यह महापंचायत हिण्डन नदी के किनारे बसे लाखों लोगों को बिजली नहीं मिल पाने की वजह से की गयी। इस महापंचायत में कुलेसरा, सुत्याना और लखनावली गाँव में बनी तेरह कॉलोनियों के हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया। इसका आयोजन एकता संघर्ष समिति के नेतृत्व में किया गया जिसमें नौजवान भारत सभा (नौभास) ने भी अपना समर्थन दिया।
हिण्डन नदी के किनारे लाखों लोगों के जीवन का अन्धकार
पिछले अंक में हमने बताया था कि कैसे हिण्डन नदी के किनारे बसी एक बड़ी मज़दूर-मेहनतकश आबादी आज भी बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। ग्रेटर नोएडा में कुलेसरा, सुत्याना तथा लखनावली में हिण्डन नदी के किनारे लगभग एक दर्जन कालोनियाँ बसी है जिसमें क़रीब दस हज़ार परिवार और लगभग एक लाख से ज़्यादा लोग नदी के किनारे रहते हैं, जो आज भी अँधेरे में रहने को मजबूर हैं।
मज़दूरों और मेहनतकशों ने अपने खून-पसीने की कमाई से ज़मीन खरीदकर यहाँ मकान बनवाये हैं। ये कॉलोनियाँ पिछले बीस-पच्चीस बरसों से बस रही हैं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जब शहर बसाने की योजना बना रही थी, जब बड़े-बड़े औद्योगिक सेक्टर बन रहे थे, जब आवासीय सेक्टरों में फ्लैट बन रहे थे, जब रियल स्टेट की बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ ‘हाइराईज सोसाइटियाँ’ डेवलप कर रहीं थीं, तब इनके दिमाग में कहीं भी मज़दूरों के आवास की कोई योजना नहीं थी। लाखों मज़दूर रोज़गार की तलाश में नोएडा-ग्रेटर नोएडा में आये और शहर से दूर सस्ते कमरे की तलाश में आस-पास के इलाक़ों में रहने लगे। यही वे मज़दूर हैं जिन्होंने फ़ैक्ट्री में अपना खून-पसीना बहाकर शहर का ‘विकास’ किया और नोएडा को “नोएडा” बनाया। पहले मज़दूरों ने औद्योगिक सेक्टरों के बीच खाली जगहों पर झुग्गियाँ बनायीं और फिर धीरे-धीरे जहाँ सस्ती ज़मीन मिली वहाँ ज़मीन ख़रीद कर मकान बनवा कर अपने परिवार के साथ रहने लगे।
आज भी एक बड़ी आबादी हर रोज़ पलायन करके नोएडा-गुडगाँव जैसे शहरों की तरफ़ आती है और कुलेसरा, सुत्याना जैसी जगहों पर सस्ते कमरे किराये पर लेकर रहती है। मगर बड़ी शर्म की बात है कि आज इक्कीसवीं सदी में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लाखों मज़दूर परिवार बिजली कनेक्शन के बिना रहने को मज़बूर हैं। केन्द्र और राज्य में पिछले कई बरसों से भाजपा की सरकार है। ‘डबल इंजन’ की सरकार का दम भरने वाले भी इस गम्भीर समस्या से मुँह फेरकर बैठे हैं।
‘डूब क्षेत्र’ और ‘अवैध कॉलोनी’ कहकर बिजली विभाग तथा स्थानीय प्रशासन कई बरसों से यहाँ के लोगों को बिजली कनेक्शन देने से मना करता रहा है। लोगों ने स्थानीय विधायक तथा सांसद से भी कई बार बिजली कनेक्शन के लिए गुहार लगाई पर कोई फर्क नहीं पड़ा। लम्बे समय से यह सारे प्रयास स्वत:स्फूर्त ढंग से हो रहा था। अलग-अलग कॉलोनियों के लोग अलग-अलग प्रयास कर रहे थे। किन्तु एक सही दिशा के अभाव में तथा स्थानीय दलाल किस्म के लोगों के नेतृत्व में होने के कारण लोग एकजुट नहीं हो पा रहे थे।
परन्तु पिछले तीन महीने से यह पूरा संघर्ष सही दिशा में जा रहा है। तेरह कॉलोनियों के लोगों ने मिलकर ‘एकता संघर्ष समिति’ का गठन किया है जो क़ानूनी लड़ाई के साथ-साथ ज़मीनी संघर्ष भी कर रहा है। हमने बताया था कि इन कॉलोनियों में लगातार लोगों को संगठित किया जा रहा है। गली मीटिंगें बुलायी जा रहीं हैं, रैलियाँ निकाली जा रहीं हैं और लोगों को इस संघर्ष से जोड़ा जा रहा है। हर गली से वॉलण्टियर बनाये गये हैं, जो लगातार स्थानीय तौर पर सक्रिय हैं। लोग भी बढ़-चढ़कर इसमें भागीदारी कर रहे हैं।
महापंचायत का आयोजन और सरकार को चेतावनी
इसी कड़ी में महापंचायत का भी आयोजन किया गया था जिसमें अभी तक की लड़ाई और आगे के रास्ते पर मुख्य रूप से बात हुई। साथ ही बिजली विभाग, प्रशासन, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) व सरकार को चेतावनी भी दी गयी कि यदि आने वाले 27 सितम्बर को फ़ैसला लोगों के पक्ष में नहीं आएगा तो यह संघर्ष एक बड़े आन्दोलन का रूप लेगा। आपको बताते चलें कि बीते 8 अगस्त को समिति द्वारा बिजली समस्या को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में एक याचिका दायर की गयी थी जिसकी सुनवाई आने वाले 27 सितम्बर को है। अभी एनजीटी ने इस पूरे क्षेत्र में बिजली की सप्लाई पर रोक लगा रखी है। इसका कारण वे यह बताते हैं कि सरकार के अनुसार यह पूरा क्षेत्र “डूब क्षेत्र” है। जबकि दूसरी तरफ़ इसी सरकार द्वारा इस पूरे इलाक़े का पंजीकरण भी किया गया था जब लोग यहाँ अपना घर बना रहे थे।
लोगों की एकजुटता और महापंचायत ने मचायी खलबली
लोगों की एकजुटता ने स्थानीय से लेकर उत्तर-प्रदेश सरकार तक में खलबली मची हुई है। लोगों को संगठित और एकजुट होता देखकर तुरन्त बिजली विभाग द्वारा सभी कॉलोनियों का ड्रोन द्वारा सर्वे शुरू कर दिया गया है। सरकार द्वारा इस क्षेत्र के लिए स्पेशल मीटिंगें बुलायी जा रही है। लोगों के हर ट्वीट पर सरकार का जवाब आ रहा है। ख़बर तो ये भी है कि उत्तर प्रदेश के शहरी विकास और अतिरिक्त ऊर्जा विभाग मन्त्री ए के शर्मा ने ग्रेटर नोएडा की बिजली की समस्या के लिए खास बैठक तक बुलायी है।
जहाँ एक तरफ़ राजकीय स्तर पर खलबली मची है, वहीं महापंचायत के बाद से स्थानीय राजनीति में भी हलचल शुरू हो गयी है। ‘एकता संघर्ष समिति’ को तोड़ने के तरह-तरह से प्रयास किये जा रहे हैं। किसान संगठनों से लेकर स्थानीय दबंगों तक – सभी लोग ‘बिजली कनेक्शन’ के लिए सक्रिय हो गये हैं। अभी स्थानीय विधायक ने कुलेसरा में आकर ‘टेम्पोररी मीटर’ की घोषणा की है। इतना ही नहीं, संघर्ष को समझौते पर ख़त्म करने के भी कई प्रयास जारी हैं जिससे स्थानीय दबंगों की जेबें भी भर सकें। किन्तु एकता संघर्ष समिति और लोग ऐसे किसी भी समझौते पर मानने को तैयार नहीं और स्थायी बिजली के लिए उनका यह संघर्ष जारी है।
इस आन्दोलन को नौजवान भारत सभा का समर्थन
इस पूरे आन्दोलन को शुरू से ही नौजवान भारत सभा (नौभास) का समर्थन भी प्राप्त है। नौभास के सदस्य शुरू से ही हर सम्भव तरीके से लोगों की इस लड़ाई में भागीदारी कर रहे हैं। आपको बताते चलें की ग्रेटर नोएडा के कुलेसरा में ही नौभास द्वारा पिछले डेढ़ साल से ‘शहीद भगतसिंह पुस्तकालय’ चलाया जा रहा है, जहाँ लगातार छात्रों और नौजवानों के बीच तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस पूरी लड़ायी में नौजवान भारत सभा भी लगातार सक्रिय है और पूरे जोश के साथ इसमें भागीदारी कर रहा है। चाहे पहले आयोजित की गयी जनसभा हो या फ़िर गली मीटिंग हो या रैलियाँ हो, नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ता लगातार हर क़दम पर लोगों के साथ मौजूद रहे हैं। इतना ही नहीं, नौभास इस पूरे संघर्ष में डिजीटल पोस्टर तथा बैनर बनाने से लेकर दफ़्तियाँ बनाने आदि का भी काम कर रहा है। साथ ही कलात्मक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम के ज़रिये लोगों की इस लड़ाई को प्रदर्शित करने का काम भी कर रहा है। आठ सितम्बर को हुई महापंचायत में भी नौभास के साथियों ने ज़ोरदार नारे लगाने, क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत करने, दफ़्तियाँ आदि बनाने का काम किया।
मज़दूर बिगुल, सितम्बर 2024
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