तरह-तरह के साधनों से फ़ासीवादी नफ़रती विचारधारा का प्रचार करने में लगा है संघ परिवार
राजू कुमार, सिडकुल इंडस्ट्रियल एरिया, हरिद्वार
सन् 2014 में मीडिया द्वारा प्रचार के तहत नरेन्द्र मोदी की छवि को हिन्दू हृदय सम्राट के तौर पर जोर-शोर से पेश किया गया। इसमें पूँजीपति वर्ग ने अपना खजाना खूब लुटाया। जिसका नतीजा यह हुआ कि फ़ासीवादी मोदी सरकार सत्ता पर आसीन हुई। तब से लेकर आज तक देश के लगभग सभी राज्यों में हिन्दुत्व की नई -नई प्रयोगशालाएँ खोली जा रही हैं और तमाम हिन्दुत्ववादी नेता व मन्त्री मिलकर हर दिन यहाँ नये-नये प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें संघ परिवार की भूमिका अहम है। ऐसा ही एक प्रयोग वाहनों के आगे-पीछे लगाये जाने वाले धार्मिक व जाति सूचक स्टीकरों का है। हालाँकि मोटरसाइकिलों, कारों के आगे-पीछे या नम्बर-प्लेट पर जाति-धर्म व सम्प्रदायसूचक स्टीकर चिपकाने का चलन बिल्कुल नया नहीं है बल्कि 2014 से पहले भी जब नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में नहीं थी तब भी आपने देखा होगा कि मोटरसाइकिलों, कारों के आगे -पीछे गुर्जर, जाट, क्षत्रिय, ब्राह्मण, ठाकुर, चौहान, यादव, पण्डित, चमार, गड़रिया आदि का स्टीकर चिपकाने का चलन जारी था। ऐसा ज़्यादातर वही लोग करते हैं जो जाति-धर्म व सम्प्रदायों में गर्व महसूस करते हैं या दूसरों से महसूस करवाना चाहते हैं। महाराष्ट्र में यदि आप जाएँ तो देखेंगे मुख्य रूप से दो समुदाय विशेष के स्टीकर मुख्य तौर पर दिखाई देंगे। एक दलितों का जय भीम का नाम व तस्वीर वाले स्टीकर दूसरा मराठा लोगों का मराठा लिखा स्टीकर या छत्रपति शिवाजी महाराज की तस्वीर वाले स्टीकर, जिन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहा जाता है। कुछ सात-आठ महीनों के दौरान एक नया स्टीकर का ट्रेण्ड उभर कर सामने आया है। इस स्टीकर का नाम है ‘हिन्दू’ और उसके साथ भगवा झण्डा! इस स्टीकर का चलन पिछले सात-आठ महीनों में इतना तेज़ी से बढ़ा है जो अपने आप में अभूतपूर्व है। एक न्यूज वेबसाइट न्यूज लाण्ड्री की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के बहुत से स्टीकर बेचने वाले दुकानदारों ने बताया कि एक महीने में इस स्टीकर ‘हिन्दू’ की बिक्री लगभग 20 हज़ार से 25 हज़ार आराम से हो जाती है। अब आप सोच सकते हैं कि जब एक अकेले दिल्ली शहर का यह हाल है तो पूरे देश भर में रोज़ इस प्रकार के कितने स्टीकर बिक रहे होंगे। लेकिन यह सब अचानक से नहीं हुआ है। यह साम्प्रदायिक फ़ासीवादी मोदी सरकार व संघ परिवार द्वारा किए जा रहे हिन्दुत्ववादी राजनीति के प्रयोग का एक हिस्सा है। संघ परिवार व फ़ासीवादी मोदी सरकार एवं इनके दरबारी मीडिया द्वारा इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि आने वाले 2024 के लोकसभा चुनावों में तथाकथित “हिन्दू गौरव” को स्थापित करने का झाँसा देकर फ़िर से मोदी सरकार को सत्ता में लाया जा सके।
जाति-धर्म सम्प्रदायसूचक स्टीकरों को लगाकर हमें गर्व महसूस करना दूसरों से गर्व महसूस करवाना या दूसरों से श्रेष्ठ बनना या दूसरों को नीचा दिखाना बन्द करना होगा और संघ परिवार व फ़ासीवादी मोदी सरकार की इस राजनीति को समझना होगा। सभी फासिस्ट मज़दूर वर्ग की ‘क्रान्तिकारी वर्गीय एकजुटता’ से डरते हैं। इसके लिए हमें जाति-धर्म में बाँटकर रखना चाहते हैं ताकि हमारी क्रान्तिकारी जुझारू जन एकजुटता को तोड़ा जा सके। मज़दूर वर्ग को संघ परिवार व फ़ासीवादी मोदी सरकार की इस कुटिल चाल को समझकर इसका भन्डाफोड़ करना होगा। हमें अपनी मुख्य माँगों शिक्षा, चिकित्सा, आवास, रोजगार के लिए व्यापक मज़दूर वर्ग की एकजुटता स्थापित करनी होगी और इस फ़ासीवादी मोदी सरकार व संघ परिवार के खिलाफ अनथक संघर्ष चलाना होगा। तभी इनसे जीता जा सकता है और इनकी विचारधारा व राजनीति को परास्त किया जा सकता है।
मज़दूर बिगुल, नवम्बर 2023
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