शिवम ऑटोटेक के मज़दूरों की जीत मगर
होण्डा के मज़दूरों का संघर्ष 80 दिन बाद भी जारी
– बिगुल संवाददाता
शिवम ऑटोटेक लिमिटेड, बिनोला के मज़दूरों व प्रबन्धन के बीच बीती 17 जनवरी की रात उप श्रमआयुक्त की मध्यस्थता में समझौता हो गया। कारख़ाना प्रबन्धन तबादला व निलम्बित किये गये 18 श्रमिकों को काम पर वापस लेने के लिए तैयार हो गया।
शिवम ऑटोटेक के मज़दूर पिछले लम्बे समय से अपना समझौता लागू करवाने, श्रम क़ानूनों के उल्लंघन रोकने आदि मुद्दे को लेकर संघर्षरत थे। श्रमिक सितम्बर माह में लम्बे संघर्ष के बाद श्रम विभाग के समक्ष हुए समझौते को लागू कराने की माँग लागतार कारख़ाना प्रबन्धन से कर रहे थे। किन्तु, श्रमिकों की माँगों पर ध्यान देने के बजाय कम्पनी बदले की भावना से मज़दूरों के ऊपर कार्रवाई में लिप्त रही। कम्पनी ने यूनियन अध्यक्ष, महासचिव समेत 15 मज़दूरों का तबादले के नाम पर गेट बन्द कर दिया। उसके बाद तीन अन्य श्रमिकों को निलम्बित कर दिया गया। कम्पनी के द्वारा की गयी इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ तबादला किये गये श्रमिक गुड़गांव स्थित लघु सचिवालय पर धरने पर बैठ गये।
इस दरम्यान श्रम विभाग के समक्ष चले वार्ताओं के कई दौर में कम्पनी अड़ियल रवैय्या अपनाए रही। कम्पनी यूनियन को कमज़ोर करने के मक़सद से श्रमिकों को यूनियन बायपास कर अपनी माँगें रखने के लिए उकसाने लगी। किन्तु, श्रमिकों की एकता व जुझारूपन के सामने उसकी एक ना चली। बीती 7 जनवरी को कम्पनी ने तालाबन्दी करने का प्रयास किया जिसके ख़िलाफ़ श्रमिक कारख़ाना परिसर में ही उत्पादन ठप्प करके बैठ गये। एक शिफ़्ट के श्रमिक कारख़ाने के अन्दर तो वहीं अन्य शिफ़्ट के श्रमिक कारख़ाना दरवाज़े पर तम्बू गाड़ कर बैठ गये। प्रबन्धन ने श्रमिकों को हटाने के लिए कई पैंतरे आज़माये, किन्तु श्रमिक पूरे हौंसले के साथ ठण्ड में डटे रहे। कम्पनी ने प्रबन्धन के कर्मचारियों की मदद से उत्पादन जारी रखने का प्रयास किया, किन्तु ठेका श्रमिकों के स्थाई श्रमिकों के पक्ष में होने के कारण वह ऐसा कर पाने में असफल रही।
आख़िरकार प्रबन्धन को श्रमिकों की एकता व जुझारूपन के आगे झुककर यूनियन अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष समेत 18 श्रमिक जिनका तबादला तथा निलम्बन के नाम पर गेट बन्द कर दिया गया था, उन्हें दुबारा काम पर वापस लेने के लिए तैयार होना पड़ा।
इस बीच होण्डा मोटरसाइकिल्स एण्ड स्कूटर्स से निकाले गये मज़दूरों का संघर्ष यह रिपोर्ट लिखे जाने तक 80 दिन बाद भी जारी था। अनेक मुश्किलों के बावजूद मज़दूर पूरे जुझारूपन के साथ अपना धरना जारी रखे हुए हैं। उन्हें इलाक़े के तमाम मज़दूर साथियों की एकजुटता और सहयोग की ज़रूरत है
मज़दूर बिगुल, फ़रवरी 2020
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन