आज की दुनिया में स्त्रियों की हालत को बयान करते आँकड़े
नमिता
स्त्रियाँ और ग़रीबी
- विश्व में किए जाने वाले कुल श्रम (घण्टों में) का 67 प्रतिशत हिस्सा स्त्रियों के हिस्से आता है, जबकि आमदनी में उनका हिस्सा सिर्फ़ 10 प्रतिशत है और विश्व की सम्पत्ति में उनका हिस्सा सिर्फ़ 1 प्रतिशत है।
- विश्वभर में स्त्रियाँ को पुरुषों से औसतन 30-40 प्रतिशत कम वेतन दिया जाता है।
- विकासशील देशों में 60-80 प्रतिशत भोजन स्त्रियों द्वारा तैयार किया जाता है।
- प्रबन्धन और प्रशासनिक नौकरियों में स्त्रियों का हिस्सा सिर्फ़ 10-20 प्रतिशत है।
- विश्वभर में स्कूल न जाने वाले 6-11 वर्ष की उम्र के 13 करोड़ बच्चों में से 60 प्रतिशत लड़कियाँ हैं।
- विश्व के 80 करोड़ 75 लाख अनपढ़ बालिगों में अन्दाज़न 67 प्रतिशत स्त्रियाँ हैं।
स्त्रियाँ और स्वास्थ्य
- विश्वभर में एचआईवी/एड्स के मरीजों में 50 प्रतिशत स्त्रियाँ हैं।
- वर्ष 2000 में आठ करोड़ स्त्रियों को अनचाहे गर्भधारण करने पड़ा।
- 2 करोड़ स्त्रियों ने असुरक्षित गर्भपात कराये।
- बच्चा जनने के दौरान 5 लाख स्त्रियों की मौत हो गयी।
भारत में स्त्रियों के विरुद्ध अपराध
(नीचे दिए गए आँकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा जारी की गई विभिन्न रिपोर्टों में से लिये गये हैं।)
- हर 3 मिनट में स्त्रियों के विरुद्ध एक अपराध होता है।
- भारत में 2001-2005 के बीच कन्या भ्रूण हत्या के 6 लाख 92 हज़ार मामले प्रकाश में आये।
वर्ष 2010 में स्त्रियों के विरुद्ध हुए अपराध
- 22172 स्त्रियाँ बलात्कार का शिकार हुईं।
- रोजाना लगभग 60 स्त्रियाँ बलात्कार का शिकार हुईं।
- हर 30 मिनट में एक स्त्री बलात्कार का शिकार हुई। इनमें से कई मामलों में यह कुकर्म करने वाले लड़कियों के नज़दीकी रिश्तेदार थे।
शारीरिक छेड़छाड़ (वर्ष 2010)
- शारीरिक छेड़छाड़ के 40,613 मामले सामने आये।
- हर रोज 111 स्त्रियों को शारीरिक छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है।
अपहरण की घटनाएँ (वर्ष 2010)
- 29795 स्त्रियाँ और नाबालिग लड़कियाँ अगवा की गयीं।
- 81 स्त्रियाँ और नाबालिग लड़कियाँ हर रोज अगवा की गयीं।
दहेज के कारण मौतें
- 2010 में 8391 स्त्रियाँ दहेज की बलि चढ़ीं।
घरेलू हिंसा
- वर्ष 2010 में 94,041 स्त्रियाँ घरेलू हिंसा का शिकार हुईं।
- स्त्रियों के ख़िलाफ़ अपराधों में घरेलू हिंसा का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है।
- 70 प्रतिशत से अधिक विवाहित स्त्रियों को अपने पतियों के हाथों मारपीट का शिकार होना पड़ता है।
- हर दो में से एक स्त्री को शारीरिक, यौन, मानसिक और/या आर्थिक हिंसा का सामना करना पड़ता है।
यौन-शोषण
- 350 स्कूली बच्चों से पूछताछ के दौरान सामने आया कि —
– उनमें से 63 प्रतिशत को अपने पारिवारिक सदस्यों के हाथों यौन-शोषण का शिकार होना पड़ा।
– यह कुकर्म करने वालों में 35 प्रतिशत या तो बच्चियों के पिता थे या दादा और/या नजदीकी पारिवारिक मित्र।
- 600 स्त्रियों से की गई पूछताछ के दौरान सामने आया कि —
– 76 प्रतिशत को बचपन में ही या किशोर उम्र में यौन शोषण का शिकार होना पड़ा था।
– यह कुकर्म करने वालों में 42 प्रतिशत अंकल या कज़न थे। और 4 प्रतिशत पिता या भाई थे।
मज़दूर बिगुल, मार्च 2012
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