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(मज़दूर बिगुल के अगस्त 2018 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
बैंक कर्ज दबाए बैठे पूंजीपतियों के खिलाफ मोदी सरकार की ‘सख्त’ कार्रवाई! / मुकेश असीम
अर्जेण्टीना में गम्भीर आर्थिक संकट – वर्ग संघर्ष तेज़ हुआ / रणबीर
श्रम कानून
दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी पर हाई कोर्ट का फ़ैसला पूँजीवादी व्यवस्था की कलई खोल देता है / सिमरन
मदरसा आधुनिकीकरण के ढोल की पोल – 50 हज़ार मदरसा शिक्षक 2 साल से तनख़्वाह से महरूम / आनन्द सिंह
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
संघर्षरत जनता
उत्तर प्रदेश में केन्द्र व राज्य कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष तेज किया / अमित
गोबिन्द रबर लिमिटेड, लुधियाना के मज़दूर संघर्ष की राह पर / लखविन्दर
महान शिक्षकों की कलम से
मज़दूरों के क्रान्तिकारी अख़बार के बारे में लेनिन के विचार
समाज
भुखमरी का शिकार देश : ये मौतें व्यवस्था के हाथों हुई हत्याएँ हैं! / वृषाली
पूरे देश भर में बच्चियों का आर्तनाद नहीं, बल्कि उनकी धधकती हुई पुकार सुनो! / वारुणी
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
शिक्षा और रोजगार
बेरोज़गारी की भयावह होती स्थिति / अविनाश
पर्यावरण / विज्ञान
साल-दर-साल बाढ़ की तबाही : महज़ प्राकृतिक आपदा नहीं मुनाफ़ाखोर पूँजीवादी व्यवस्था का कहर! / सत्यम
महान जननायक
कारखाना इलाक़ों से
मालिकों के शोषण का शिकार जीएस ऑटो इण्टरनेशनल के मज़दूर / लखविन्दर
कला-साहित्य
कविता – यही मौका है / नवारुण भट्टाचार्य
कविता – 26 जनवरी, 15 अगस्त… – नागार्जुन
नज़्म – कौन आज़ाद हुआ ? / अली सरदार जाफ़री
मज़दूरों की कलम से
मजदूरों के पत्र – न्याय, विधान, सविंधान का घिनौना नंगा नाच / मन्नू, मजदूर, ओखला, दिल्ली
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन