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(मज़दूर बिगुल के फरवरी 2018 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
बजट और आर्थिक सर्वेक्षण : झूठ का एक और पुलिन्दा / मुकेश असीम
बढ़ती बेरोज़गारी और सत्ताधारियों की बेशर्मी / इन्द्रजीत
बेरोज़गारी क्यों पैदा होती है और इसके विरुद्ध संघर्ष की दिशा क्या हो / सत्यम
असली मुद्दों को कस के पकड़ रहो और काल्पनिक मुद्दों के झूठ को समझो / राजकुमार
बढ़ते घपले-घोटाले और पूँजीवाद / कविता कृष्णपल्लवी
संघर्षरत जनता
गवर्नमेण्ट प्रेस, इलाहाबाद के अप्रेण्टिस कर्मचारी आन्दोलन की राह पर
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हॉस्टल मैस कर्मचारियों का संघर्ष जि़न्दाबाद! / प्रवीन, कुरूक्षेत्र
रिहायशी मसलों के हल के लिए एलआईजी कालोनी (लुधियाना) के लोगों के संघर्ष की आंशिक जीत
धरना-प्रदर्शनों पर रोक व काले क़ानूनों के खि़लाफ़ लुधियाना के जनवादी जनसंगठन सड़कों पर उतरे
विरासत
सोवियत संघ में सांस्कृतिक प्रगति – एक जायज़ा / मानव
समाज
जाति अहंकार में चूर गुण्डों द्वारा दलित छात्र की सरेआम पीट-पीटकर हत्या / अमित
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
हथियारों का जनद्रोही कारोबार और राफ़ेल विमान घोटाला / अमित
शिक्षा और रोजगार
शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान सरकार की नंगई / विजय
औद्योगिक दुर्घटनाएं
दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में फ़ैक्ट्री की अाग में मज़दूरों की मौत
गतिविधि रिपोर्ट
‘भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी क़ानून’ अभियान
कला-साहित्य
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन