पंजाब के 60 से अधिक जनवादी-जनसंगठनों ने काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ तालमेल फ़्रण्ट बनाया

बिगुल संवाददाता

पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पंजाब सार्वजनिक व निजी जायदाद नुक़सान रोकथाम क़ानून लागू कर दिया है। एक और काला क़ानून पकोका बनाने की तैयारी है। इन दमनकारी काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब के इंसाफ़पसन्द जनवादी-जनसंगठन भी संघर्ष के मैदान में कूद पड़े हैं। मज़दूरों, किसानों, सरकारी मुलाजि़मों, स्त्रियों, छात्रों, नौजवानों, जनवादी अधिकार कार्यकर्तओं आदि के 60 से अधिक जनसंगठनों ने देश भगत यादगार हाॅल, जालन्धर में मीटिंग करके ‘काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ जनवादी जनसंगठनों का तालमेल फ़्रण्ट, पंजाब’ बनाया है। 10 दिसम्बर 2017 को सभी जि़ला हैडक्वाटरों पर इन काले क़ानूनों को रद्द करवाने के लिए संगठनों के प्रतिनिधिमण्डलों ने माँग पत्र सौंपे। इसके बाद गुज़रे साल के अन्तिम दिन, 31 दिसम्बर को, देश भगत यादगार हाल, जालन्धर में पंजाब स्तरीय विशाल कन्वेंशन करके पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा लाये गये काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए आगे आने के लिए जनता का आह्वान किया गया। 16 फ़रवरी को बरनाला और 17 फ़रवरी को जालन्धर में पंजाब स्तरीय दो महारैलियाँ करने का ऐलान भी किया गया।

कन्वेंशन को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने ‘पंजाब सार्वजनिक व निजी जायदाद नुक़सान रोकथाम क़ानून’ जनता के सख़्त विरोध के बावजूद बना तो लिया था लेकिन जनदबाव व विधानसभा चुनाव नज़दीक होने के कारण लागू नहीं किया था। कांग्रेस उस समय तो इन क़ानूनों के लिए अकाली-भाजपा सरकार का विरोध कर रही थी, लेकिन अब ख़ुद ही सत्ता में पहुँचकर इसे लागू कर दिया है। पंजाब की काग्रेंस सरकार का जनविरोध चेहरा एक बार फिर बेपर्द हो चुका है।

वक्ताओं ने यह बात ज़ोर देकर कही कि हालाँकि ये काले क़ानून सार्वजनिक व निजी जायदाद के नुक़सान रोकने व गुण्डागर्दी को लगाम कसने के बहाने लाये जा रहे हैं लेकिन असल निशाना जनता के अधिकारों पर डकैती तेज़ करना है, जनसंघर्षों को कुचलना है, जन नेताओं को झूठे-नाजायज़ केसों में उलझाना, दमन का शिकार बनाना है। ये काले क़ानून अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने, एकता बनाने, संघर्ष करने के जनवादी अधिकारों पर तीखा हमला हैं। इसलिए हर इंसाफ़पसन्द व्यक्ति को इन काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ संघर्ष के मैदान में कूदने की ज़रूरत है।

काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ जनवादी जनसंगठनों का तालमेल फ़्रण्ट, पंजाब में टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, कारख़ाना मज़दूर यूनियन, नौजवान भारत सभा, पंजाब स्टूडेण्ट्स यूनियन (ललकार), भाकियू (उगराहाँ), किरती किसान यूनियन, भाकियू (डकौंदा), भाकियू (क्रान्तिकारी), किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, आज़ाद किसान संघर्ष कमेटी, क्रान्तिकारी किसान यूनियन पंजाब, ज़मीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल), जमहूरी किसान सभा, पंजाब किसान यूनियन, पेंडू मज़दूर यूनियन पंजाब, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन, क्रान्तिकारी पेंडू मज़दूर यूनियन, देहाती मज़दूर सभा, मज़दूर मुक्ति मोर्चा, इण्डियन फ़ेडरेशन आॅफ़ ट्रेड यूनियनज़ (इफ़टू), सीटीयू पंजाब, थर्मल कण्ट्रेक्ट वर्कर्ज़ कोआॅर्डीनेशन, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन, थीम डैम वर्कर्ज़ यूनियन, लाल झण्डा पंजाब भट्ठा लेबर यूनियन, शहीद भगतसिंह नौजवान सभा, पंजाब स्टूडेण्ट्स यूनियन, पंजाब स्टूडेण्ट्स फ़ेडरेशन, डेमोक्रेटिक स्टूडेण्ट्स आॅर्गेनाइजेशन, इंक़लाबी नौजवान विद्यार्थी मंच, पंजाब रोडवेज़ इम्पलाइज़ यूनियन (आज़ाद), गोरमिण्ट टीचर्ज यूनियन, पंजाब सुबार्डीनेट सर्विसिज़ फ़ेडरेशन, डेमोक्रेटिक मुलाजि़म फ़ेडरेशन, आरसीएफ़, इम्पलाइज़ यूनियन (कपूरथला), टीएसयू (सेखों), एसएसए/रमसा अध्यापक यूनियन, जल सप्लाई व सेनीटेशन कण्ट्रेक्ट वर्कर्ज़ यूनियन पंजाब, पेप्सीको इण्डिया होल्डिंग वर्कर यूनियन (एटक), ठेका मुलाजि़म संघर्ष मोर्चा, ठेका मुलाजि़म पावरकॉम व ट्रांस्को यूनियन पंजाब, जनवादी स्त्री सभा, स्त्री जागृति मंच, पंजाब निर्माण मज़दूर यूनियन, आँगनबाड़ी वर्कर यूनियन, टेक्नीकल सर्विसिज यूनियन, जमहूरी अधिकार सभा, देश भगत यादगार हाल कमेटी, पंजाब लोक सभ्याचारक मंच, पंजाब मेडीकल प्रेक्टीशनर्ज़ ऐसोसिएशन पंजाब आदि संगठन शामिल हैं। तालमेल फ़्रण्ट के बाहर रह गये शेष जनवादी जनसंगठनों को भी काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ साँझे संघर्ष में बढ़चढ़कर शामिल होने की अपील की गयी है।

मज़दूर बिगुल, जनवरी 2018


 

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