हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथियों और पुलिस को जनवादी जनसंगठनों की एकता ने दिया मुँहतोड़ जवाब
लुधियाना में जनचेतना और क्रान्तिकारी-जनवादी विचारों पर हमले के खिलाफ़ पुलिस थाने का घेराव और ज़ोरदार प्रदर्शन

बिगुल संवाददाता

हिन्दूत्वी कट्टरपन्थियों द्वारा पंजाबी भवन, लुधियाना में स्थित प्रगतिशील व क्रान्तिकारी साहित्य के केन्द्र ‘जनचेतना’ के पुस्तक बिक्री केन्द्र पर 3 जनवरी को हमला किया गया। हिन्दुत्वी कट्टरपंथियों का कहना था कि जनचेतना शहीद भगतसिंह की और राधामोहन गोकुलजी आदि क्रान्तिकारी-प्रगतिशील लेखकों की किताबों के प्रचार द्वारा नौजवानों का ‘ब्रेनवॉश’ कर रही है। हिन्दूत्वी कट्टरपन्थियों ने जनचेतना की प्रबन्धक बिन्नी के साथ बदकलूकी की, उसको गालीयां और पुलिस की मौजूदगी में जनचेतना के पुस्तक बिक्री केन्द्र को आग लगाने और तोड़-फोड़ करने की कोशिश की।

हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी नौजवान भारत सभा की कार्यकर्ता शिवानी के परिजनों को साथ लेकर आए थे। शिवानी बी.एससी. के अन्तिम वर्ष की छात्रा है। जनचेतना पर उपलब्ध शहीदे-आजम भगतसिंह, कार्ल मार्क्स, लेनिन, राधामोहन गोकुलजी व अन्य क्रान्तिकारी-प्रगतिशील लेखकों की रचनाएँ, पंजाबी क्रान्तिकारी अखबार ‘ललकार’, मज़दूरों का क्रान्तिकारी अखबार ‘मज़दूर बिगुल’ आदि पढ़कर उसने क्रान्तिकारी विचारों को अपनाया है और मज़दूरों-मेहनतकशों की लूट-खसूट के मुक्ति के लिए जारी क्रान्तिकारी आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभा रही है। लेकिन उसके परिजन नहीं चाहते कि वो क्रान्तिकारी काम करे। उनके इस विवाद का फायदा उठाते हुए हिन्दुत्वी कट्टरपंथियों ने ‘लड़की की रक्षा’ का बहाना बना कर जनचेतना व क्रान्तिकारी-जनवादी विचारों को निशाना बनाया। उन्होंने शहीदे-आजम भगतसिंह की किताब ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’, राधा मोहन गोकुल की किताबों ‘लौकिक मार्ग’, ‘ईश्वर का बहिश्कार’ आदि किताबों को बहाना बना कर जनचेतना पर धार्मिक भावनाएँ भड़काने का दोष लगाते हुए धारा 295 ए के तहत केस दर्ज करने के लिए हंगामा करते हुए पुलीस पर दबाया बनाया। अन्य क्रान्तिकारियों की किताबों की बिक्री के लिए उन्होंने जनचेतना पर देश-द्रोह का केस दर्ज करने के लिए भी पुलीस पर दबाव बनाने की कोशिश की। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि हिन्दुत्वी कट्टरपंथी जहाँ क्रान्तिकारी विचारों से खौफ खाते हैं, मज़दूर-मेहनतकशों के शत्रु हैं और साथ ही स्त्रियों की आज़ादी के भी घोर विरोधी हैं। इन्हें यह कतई गँवारा नहीं कि कोई स्त्री अपनी मर्जी से अपनी जिन्दगी की राह चुने और अगर कोई स्त्री क्रान्तिकारी बन जाए तो ये बौखला उठते हैं।

पुलीस की हिन्दुत्वी कट्टरपंथियों से मिलीभगत भी एकदम उजागर हो गई। पुलिस ने इन हमलावरों पर कार्रवाई करने की जगह जनचेतना की प्रबन्धक बिन्नी और वहाँ मौजूद टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के प्रधान लखविन्दर, कारखाना मज़दूर यूनियन के नेता गुरजीत (समर) और नौजवान भारत सभा के सक्रिय सदस्य सतबीर को ही हिरासत में ले लिया था और जनचेतना की दुकान को सील कर दिया था। शाम को जन दबाव के बाद इन सब को रिहा कर दिया गया लेकिन 3 जनवरी को दोपहर 12 बजे थाने बुलाया गया था।

जनवादी विचारों और कार्यकर्ताओं पर हुए इस हमले के बाद 3 जनवरी को लुधियाना के विभिन्न क्रान्तिकारी-जनवादी संगठनों के बुलावे पर सैंकड़ों मज़दूर, नौजवान, विद्यार्थी, जनवादी कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाना डिवीज़न नम्बर 5 का घिराव करके ज़ोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में अधिकतर मज़दूर थे। पुलिस ने जनता की ताकत के सामने झुकते हुए अपनी गल्ती मानी और भरोसा दिलवाया कि बिन्नी, लखविन्दर, गुरजीत और सतबीर के खिलाफ़ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी। एक दिन पहले झुण्ड बनाकर जनचेतना पर हमला करने वाले हिन्दूत्वी कट्टरपन्थियों को भी पुलिस ने 3 जनवरी को 12 बजे बुलाया था पर उनमें से किसी ने भी थाने पहुंचने की हिम्मत नहीं दिखाई। जनता की ताकत से ये कितना डरते हैं यहाँ ये भी साफ़ हो गया।

पुलीस थाने पर प्रदर्शन के दौरान जनसंगठनों ने माँग की कि जनचेतना पर हमला करने वाले हमलावरों को गिरफ्तार किया जाए और उनका साथ देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। हिन्दूत्वी कट्टरपन्थी संगठनों द्वारा शहर का माहौल खराब करने का सख्त नोटिस लेते हुए माँग की गई कि धर्म के आधार पर लोगों को बाँटने-लड़ाने वाले संगठनों पर पाबन्दी लगाई जाए और इसके दोषी व्यक्तियों को सख्त सज़ाएँ दी जाएँ। जनचेतना की प्रबन्धक द्वारा दी गई शिकायत पर तुरन्त कार्यवाई करने की माँग की गई। जन एकता आगे झुकते हुए पुलिस ने जनचेतना की चाबीयाँ प्रबन्धकों को तुरन्त सौंप दी। थाने के घेराव के बाद जनचेतना, पंजाबी भवन तक पैदल मार्च किया गया और जोशीले नारों के साथ जनचेतना का ताला खोला गया। वक्ताओं ने कहा कि जनचेतना पर हुआ हमला पूरे क्रान्तिकारी-जनवादी आन्दोलन पर हमला है। क्रान्तिकारी-जनवादी किताबों व कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना विचारों को वयक्त करने की आज़ादी और जनवादी हकों पर हमला है।

प्रदर्शन को जनचेतना, लुधियाना की प्रबन्धक बिन्नी, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर, नौजवान भारत सभा, पंजाब के संयोजक कुलविन्दर, इंकलाबी केन्द्र पंजाब के नेता सुखदेव भूंदड़ी, पंजाब स्टूडेंटस यूनियन के नेता कर्मजीत कोटकपुरा, डैमोक्रेटिक लायरज़ ऐसोसीएशन के आगू हरप्रीत ज़ीरख, कारखाना मज़दूर यूनियन के आगू राजविन्दर, डैमोक्रटिक इम्पलाइज़ फ्रण्ट के नेता रमनजीत, तर्कशील सुसाइटी पंजाब के नेता सतीश सचदेवा, मोल्डर एन्ड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन के अध्यक्ष विजय नारायण, लोक एकता संगठन के अध्यक्ष गल्लर चौहान आदि ने संबोधित किया।

 

मज़दूर बिगुल, जनवरी 2017


 

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